ओस्लो: नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में नॉर्वेजियन नोबेल संस्थान ने आज 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी। इस वर्ष यह प्रतिष्ठित सम्मान वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो को प्रदान किया गया है। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने मचाडो को उनके अथक प्रयासों, वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए किए गए संघर्ष के लिए चुना। इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार से चूक गए, जिन्होंने स्वयं को ‘युद्ध समाप्त करने’ के लिए इस सम्मान का दावेदार बताया था।
‘लोकतंत्र की लौ जलाए रखने वाली साहसी नेत्री’
नोबेल समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने मचाडो की प्रशंसा करते हुए उन्हें “शांति की साहसी और प्रतिबद्ध समर्थक” करार दिया। उन्होंने कहा कि मचाडो ने “बढ़ते अंधकार के बीच लोकतंत्र की लौ को जलाए रखा है।” ट्रंप की उम्मीदवारी के बारे में पूछे गए सवाल पर फ्राइडनेस ने स्पष्ट किया कि समिति को हर साल हजारों नामांकन प्राप्त होते हैं, और चयन प्रक्रिया गोपनीय और निष्पक्ष तरीके से एक कमरे में पूरी की जाती है।
नोबेल शांति पुरस्कार का महत्व
नोबेल शांति पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने शांति को बढ़ावा देने, संघर्षों को सुलझाने और मानवाधिकारों की रक्षा में उल्लेखनीय योगदान दिया हो। यह पुरस्कार नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा चुना जाता है, और विजेता की घोषणा हर साल अक्टूबर में की जाती है। इस साल पुरस्कार को लेकर खासा उत्साह था, क्योंकि ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर युद्ध समाप्त करने के दावे के साथ अपनी उम्मीदवारी को प्रचारित किया था।
मचाडो का योगदान
मारिया कोरिना मचाडो ने वेनेजुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्ष किया है। उनकी अगुवाई में कई आंदोलनों ने तानाशाही के खिलाफ आवाज बुलंद की और शांतिपूर्ण तरीके से लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली के लिए प्रयास किए। नोबेल समिति ने उनके इस साहस और समर्पण को मान्यता देते हुए उन्हें इस सम्मान के लिए चुना।
यह पुरस्कार न केवल मचाडो के प्रयासों को सम्मानित करता है, बल्कि वेनेजुएला के लोगों के लोकतांत्रिक संघर्ष को भी वैश्विक मंच पर उजागर करता है।