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स्वास्थ्य विभाग के “विभीषण” जल्द होंगे बेनक़ाब, गोपनीय सूचनाएं लीक कर बदनाम करने की रची साज़िश! चंपावत से देहरादून तक हड़कंप, आंतरिक जांच शुरू, रडार पर आधा दर्जन कर्मचारी

by badhtauttarakhand
  • स्वास्थ्य विभाग के “विभीषण” जल्द होंगे बेनक़ाब, गोपनीय सूचनाएं लीक कर बदनाम करने की रची साज़िश! 
  • चंपावत से देहरादून तक हड़कंप, विभाग ने शुरू की आंतरिक जांच, आधा दर्जन कर्मचारी रडार पर

देहरादून। उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग हाल के वर्षों में आपदा से लेकर सेवा तक अपने कार्यों से प्रदेशभर में सराहना बटोर चुका है। थराली से धराली तक हर मोर्चे पर जनसेवा में जुटे इस महकमे ने आपदाओं के बीच भी जो मिसाल कायम की, उसने पूरे प्रदेश में विभाग की साख को मज़बूत किया। लेकिन अब यही विभाग अपने ही कुछ अंदरूनी “विभीषणों” की करतूतों से सुर्खियों में है। मामला किसी बाहरी आलोचना या उपकरण खरीद विवाद का नहीं, बल्कि विभाग के भीतर से गोपनीय सूचनाएं लीक होने का है। जिनके आधार पर हाल ही में एक राजनीतिक दल ने विभाग पर गंभीर आरोप मढ़े।

राजनीतिक वार्ता से खुला ‘गोपनीय लीक’ का खेल

बीते रोज़ एक प्रमुख राजनीतिक दल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्वास्थ्य विभाग पर करोड़ों की मशीन खरीद में गड़बड़ियों का आरोप लगाया था। दल ने दावा किया कि कई सीटी स्कैन मशीनें महीनों से बंद पड़ी हैं और जनता को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा। लेकिन विभाग के उच्च अधिकारियों ने इन दावों को पूरी तरह भ्रामक और तथ्यों से परे बताया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, जिन मशीनों पर सवाल उठाए गए, वे चंपावत और ऋषिकेश में हाल ही में स्थापित की गई हैं और पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रही हैं। रोज़ाना दर्जनों मरीजों की जांच इन्हीं मशीनों से हो रही है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सुविधाएं बेहतर हुई हैं।

“विभीषण” हुए बेनक़ाब, अंदरूनी लीक की जांच तेज

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, राजनीतिक दलों तक पहुंची गलत सूचनाएं विभाग के भीतर से लीक की गईं। जांच में यह सामने आया कि कुछ कर्मचारी, जिन्हें हाल ही में अन्य जिम्मेदारियों पर स्थानांतरित किया गया था, कुर्सी बचाने के लिए ऐसी हरकतों में लिप्त हो सकते हैं।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, अब तक आधा दर्जन कर्मचारियों के नाम सामने आ चुके हैं जिन्होंने विभागीय दस्तावेज़ और आंतरिक चर्चाओं की जानकारी बाहर पहुंचाई। विभाग ने अब इस पूरे प्रकरण की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि संदिग्ध कर्मचारियों की कॉल डिटेल (CDR) और डिजिटल ट्रैकिंग कराई जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि जानकारी किन लोगों तक पहुंचाई गई।

“साख पर चोट की साज़िश”, अधिकारी सख्त रुख में

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया “यह केवल गोपनीयता भंग का मामला नहीं, बल्कि विभाग की साख को चोट पहुंचाने की सुनियोजित साज़िश है। दोषी कर्मचारियों पर अब कड़ी कार्रवाई तय है।” कुछ लोग राजनीतिक लाभ और व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए विभाग की छवि धूमिल कर रहे हैं। अगर किसी मशीन में तकनीकी दिक्कत आती है, तो उसे सुधारना हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन उसे भ्रष्टाचार का रंग देना दुर्भावनापूर्ण है।

नई सुरक्षा नीति लागू होगी

सूचना लीक की घटनाओं से सबक लेते हुए स्वास्थ्य विभाग अब नए सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने जा रहा है। गोपनीय दस्तावेजों की एक्सेस सीमित की जाएगी और डिजिटल निगरानी प्रणाली को और मज़बूत किया जाएगा। देहरादून से लेकर चंपावत तक फैले इस विवाद ने साफ़ कर दिया है कि विभाग के भीतर कुछ कर्मचारी निजी स्वार्थ के लिए पूरे सिस्टम को बदनाम करने की कोशिश में हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग दोनों इस मामले में सख्त रुख अपनाए हुए हैं। फिलहाल जांच जारी है, लेकिन इतना तय है उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के ‘विभीषणों’ पर अब गाज गिरनी तय है।