देहरादून : कभी सोचा है कि रात के घने अंधेरे में, जब दुनिया सो रही होती है, तो ऊंचे पेड़ों की डालों पर बैठे पक्षी क्यों नहीं गिरते? वे तो गहरी नींद में होते हैं, फिर ऐसा क्या है जो उन्हें सुरक्षा देता है? इसका राज़ बहुत अद्भुत और सरल है – उनके पँजों में! क्या आप जानते हैं कि पक्षी सोते हुए भी पेड़ की डाल से क्यों नहीं गिरते ? इसका राज़ पक्षियों के पँजों में हैं, जब वे घुटने मोड़ते हैं, तो पँजे मज़बूती से डाल पर टिके रहते हैं और उसे पकड़े रहतें हैं। पँजे तब तक डाल को नहीं छोड़ते जब तक कि वह उड़ने के लिए घुटनों को न खोल दें। मुड़े हुए घुटने पक्षी को किसी भी चीज़ को थामने की ताकत देते हैं।
पक्षियों के पँजों का अद्भुत रहस्य
जब कोई पक्षी किसी डाल पर बैठता है और सोने के लिए अपने घुटनों को मोड़ता है, तो उसके पँजे अपने आप कसकर डाल को पकड़ लेते हैं। यह एक प्राकृतिक “लॉक” जैसा है, जिसमें किसी अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता नहीं होती। जब तक पक्षी अपने घुटनों को सीधा करके उड़ने की तैयारी नहीं करता, तब तक उसके पँजे डाल को नहीं छोड़ते। मुड़े हुए घुटने ही वे शक्ति देते हैं जिससे पक्षी इतनी मज़बूती से किसी भी चीज़ को थामे रख पाता है, चाहे वह कितनी भी गहरी नींद में क्यों न हो। है ना यह सृष्टिकर्ता की अद्भुत रचना?
सृष्टिकर्ता ने हमें पक्षियों से अलग नहीं बनाया…
लेकिन क्या आप जानते हैं कि सृष्टिकर्ता ने हमें पक्षियों से अलग नहीं बनाया है? हमारे जीवन में भी कई बार ऐसे क्षण आते हैं जब हम असुरक्षित महसूस करते हैं, जब कोई ख़तरा मंडराता है, या जब परिस्थितियाँ बेहद मुश्किल लगने लगती हैं। ठीक वैसे ही जैसे पक्षी अपने घुटनों को मोड़कर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा हमें प्रार्थना में झुके हुए घुटनों से मिलती है।
विनम्रता में छिपी है हमारी सबसे बड़ी शक्ति
जब हम विनम्र होते हैं, जब हम यह समझते हैं कि इस विशाल ब्रह्मांड में यह छोटा सा “मैं” कितना तुच्छ हूँ, तब हम अपने घुटने मोड़ते हैं, नतमस्तक होते हैं, और करबद्ध हो जाते हैं। यह सिर्फ एक भौतिक क्रिया नहीं, बल्कि हमारे अहंकार को त्यागने और खुद को दिव्य शक्ति के प्रति समर्पित करने का प्रतीक है।
जब हम विनम्र होते हैं, तो हम अपनी संकीर्ण सोच से ऊपर उठकर खुद को पूरे ब्रह्मांड के लिए खोल देते हैं। हम अपने अंदर की दीवारों को तोड़कर उस असीम शक्ति से जुड़ जाते हैं जिसने इस पूरे जगत की रचना की है।
फिर क्या होता है?
जब हम खुद को दिव्य शक्ति से जोड़ लेते हैं, तो हमें अपनी आंतरिक शक्ति वापस मिल जाती है। हमारे डर, हमारी असुरक्षाएँ दूर होने लगती हैं। हमें एहसास होता है कि हम अकेले नहीं हैं, बल्कि एक बड़ी शक्ति का हिस्सा हैं। हम अपने पंख फैला लेते हैं और जीवन की किसी भी चुनौती का सामना करने, नई उड़ान भरने के लिए सहर्ष तैयार हो जाते हैं!
क्या यह अद्भुत नहीं है?
सृष्टिकर्ता ने हमें पक्षियों से अलग नहीं बनाया… जब हम असुरक्षित, या कोई ख़तरा महसूस करते हैं… जब सनी कुछ मुश्किल होता है, तो हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा प्रार्थना में झुके हुए घुटने से मिलती है। जब हम विनम्र होते हैं और समझते हैं कि यह छोटा सा “मैं” कितना तुच्छ हूँ तो हम अपने घुटने मोड़ते हैं, नतमस्तक हो जातें हैं। और करबद्ध हो जातें हैं। जब हम विनम्र होते हैं, तो हम पूरे ब्रह्मांड के लिए ओपन होते हैं। जब हम ब्रह्मांड के लिए ओपन होते हैं, तो हम खुद को दिव्य शक्ति से जोड़ लेतें हैं। और फिर? हम अपनी आंतरिक शक्ति वापस पा लेते हैं, अपने पँख फैला लेते हैं और उड़ने के लिए फिर सहर्ष तैयार हो जाते हैं!
- लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.